गुरुवार, 19 नवंबर 2009

मैं एक आम इन्सान हूँ

अपने दुख दर्दों से परेशान हूँ
देखके दुनिया का तमाशा हैरान हूँ
मुझे पहचान लो दोस्तों
मैं एक आम इन्सान हूँ


मंहगाई की मार झेल रहा हूँ
ज़िन्दगी को किसी तरह ढकेल रहा हूँ
मुझे पहचान लो दोस्तों
मैं एक आम इन्सान हूँ


घर से बाहर निकल मैं डर रहा हूँ
अपने जान माल की चिन्ता मैं कर रहा हूँ
मुझे पहचान लो दोस्तों
मैं एक आम इन्सान हूँ


ट्रैफिक से भरी सङके देख रहा हूँ
“नैनो लूंगा अपनी” फिर भी ये फेक रहा हूँ
मुझे पहचान लो दोस्तों
मैं एक आम इन्सान हूँ


अस्तित्व देश के अन्दर ही खोए जा रहा हूँ
भाषाओं की लङाई में मौन रोए जा रहा हूँ
मुझे पहचान लो दोस्तों
मैं एक आम इन्सान हूँ


“आम” बनके इस दुनिया में आया हूँ
“ख़ास” बनने की आस लिए ही जिए जा रहा हूँ
मुझे पहचान लो दोस्तों
मैं एक आम इन्सान हूँ
शबनम खान...

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