रविवार, 29 नवंबर 2009

रातें हमने आँखों में गुजारी है

दिल की दुनिया टूटने के बाद सब रोते थे,
हम थे की पागलों की तरह हँसते थे,
यह हल-ऐ-दिल हम कैसे सुनाते सबको कि,
तकलीफ न हो उनको इस लिए अकेले रोते थे।

बनाके अपना हमको भुलाने वाले हो तुम,
दिखाके रौशनी हमको जलाने वाले हो तुम,
अभी तक हम पुराने जख्मो से उभरे नही,
आज फिर से कोई नया दर्द उठाने वाले हो तुम,
इतनी रातें हमने आँखों में गुजारी है,
क्या आज रात मेरे खवाबो में आने वाले हो तुम।

हर दर्द हर ज़ख्म की वजह दिल है
प्यार आसान है मगर निभाना मुस्किल है।
डगर टेडी-मंदी भूलभुलैया मंजिल है
लहर बचा देती है डूबा देता साहिल है
तूफान से बना इसमे दरिया गया मिल है।

Ravi Srivastava

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