शनिवार, 2 जनवरी 2010

पागलपन

पागलपन ---------------- जब आदमी इस समाज से जयादा समझ दार हो जाए और समाज की हर चालाकी को समझता जाए तो समाज उसे पागल घोषित कर देता है / आओ आप को एक भूले हुए पागल से मिलाय / जिसे आप पढ़ रहे है उस पागल को पागलखाने का रास्ता दिखाए /आज उसे समझ आया ....अपनों का दबाव, जिसने उस की जिन्दगी को बिखरा दिया ,सब का अपना अपना मतलब था ,अपनी अपनी खवाइश ..................................

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