
तीनों बच्चों की छुट्टियां, बाहर बर्फ ही बर्फ...त्यौहार और जन्मदिन का माहौल ..और रोज-रोज नए व्यंजनों की फरमाइश....अब आप सोचिये की हमारी क्या दशा है....बसंती होती तो कहती 'खा खा कर घोड़ी हो गयी हो'...खैर ऐसे माहौल में जो सबसे अच्छी बात होती है..बच्चों से घुलने-मिलने का मौका....बात-बात में उनसे कुछ-कुछ उगलवा लेने में भी भलाई होती है....सब कुछ ठीक तो चल रहा है न....कहीं कुछ गड़बड़ तो नहीं है.....मेरे बच्चे वैसे भी मुझसे बहुत घुले-मिले हुए हैं.....अपनी सारी बातें मुझसे बताते हैं......हम चारों किसी भी विषय पर बात कर लेते हैं.....मौका निकाल कर मैंने यही काम करना शुरू किया है......यूँ ही हलके से अक्सर पूछ लेती हूँ कहीं कोई लड़की/लड़का पसंद तो नहीं आई/ आया है....वैसे छोटे तो हैं...लेकिन इतने भी छोटे नहीं....और फिर प्रेम की कोई उम्र ही कहाँ होती है....कभी भी कहीं भी हो जाता है ...
बड़े बेटे मयंक को हम सब 'भोला बाबा ' कहते हैं.....लड़कियों से ऐसे भागता है जैसे वो कोई संक्रामक बिमारी हों....लेकिन उसकी वजह जो उसने बताई सुनने लायक है...इसके लिए एक घटना जो इन्ही-दिनों घटी है बताती हूँ...
यहाँ क्रिसमस की शौपिंग की सेल लगी है हर जगह...मैं, संतोष जी और प्रज्ञा भी कहाँ संवरण कर पाए शौपिंग का लोभ ...perfumes और कॉस्मेटिक्स की ज़बरदस्त सेल लगी थी लोरियाल की..हम भी जा ही पहुंचे वहां.....अन्दर पहुँच कर देखा तो मयंक और उसका काला दोस्त गेब्रियल और गोरा दोस्त मथ्यु भी वहीँ हैं....मुझे थोड़ी हैरानी हुई मयंक को वहां देख कर ....मयंक ने जैसे ही हमलोगों को देखा.....फटाफट वो आ गया हमारे पास .....मैंने पुछा अरे तुम यहाँ क्या कर रहे हो...बोला मेरे दोस्त अपनी गर्ल फ्रेंड्स के लिए गिफ्ट खरीद रहे हैं........ मम्मी मेरे दोस्त कह रहे हैं आप ज़रा उनकी हेल्प करा दो .......ये लोग समझ नहीं पा रहे है उनकी गर्ल फ्रेंड्स के लिए क्या खरीदना चाहिए ....खैर मैंने उन दोनों लड़कों की मदद की और जो समझ में आया बता दिया....इसी चक्कर में मैंने मयंक से पूछा... तुम कुछ नहीं ले रहे हो कुछ किसी के लिए.....तो उसने जो कहा मुझे हैरान कर गयी बात...
कहने लगा मम्मी गर्ल फ्रेंड रखना बहुत मंहगा पड़ता है..और मैं ठहरा गरीब इंसान...मेरे पास इतने पैसे नहीं होते कि मैं ये सब अफोर्ड कर सकूँ.......अब मेरे दोस्तों ने अपने फीस के पैसे से ये खरीदा है और मुझे मालूम है उन दोनों लड़कियों को ये गिफ्ट पसंद नहीं आएगा....हर बार यही करतीं हैं वो.....इसलिए ये सब मेरे बस की बात नहीं.....आपलोग मेरी फीस देते हो वही बहुत बड़ी बात है मम्मी....मैं आपसे इन बातों के लिए पैसे नहीं ले सकता.....और फिलहाल मुझे अपनी पढाई पर ध्यान देना है.......हालांकि जिस तरीके से मेरे बेटे ने खुद को गरीब कहा.....दिल भर आया मेरा .....लेकिन इस बात का भी गर्व हुआ की उसने अपने अन्दर कोई बे-वजह की भ्रान्ति नहीं पाल रखी है....मुझे वास्तव में उसकी सोच से बहुत ही ज्यादा ख़ुशी हुई ....मैंने भी कहा.... हाँ बाबा पढ़-लिख लो नौकरी पकड़ लो फिर सब आसन है...तो खैर मयंक का यही प्लान है....
अब सुनते हैं मृगांक के विचार......मृगांक ने बताया कि ..उसके क्लास में 'डेटिंग' पर विचार -विमर्श हो रहा था ........जब उससे पूछा गया डेटिंग के बारे में.....उसने क्लास में कह दिया कि मैं तो कर ही नहीं सकता 'डेटिंग' क्यूंकि मेरी शादी तो 'arranged' होगी....सारा क्लास सन्न रह गया था सुन कर...are you kidding ??? इस ज़माने में तुम अमेरिका में बैठ कर अरेंज्ड मैरेज की बात भी कैसे कर सकते हो...?? इस बात पर मृगांक ने जो दलील दी आपके सामने रखती हूँ....याद रखियेगा ये सिर्फ १९ साल का है और अपनी बुद्धि से कह रहा है कुछ...गलतियाँ भी हो सकती हैं.. आप सबसे निवेदन है गलतियों को नज़र अंदाज़ कीजियेगा...ये सारी दलील उसने क्लास के सामने रखी थी....
अरेंज्ड मैरेज और लव मैरेज में फर्क निम्लिखित हैं.....(यहाँ लड़के की तरफ से लिखा जा रहा है, लेकिन ये सारी बातें लड़की पर भी लागू होंगीं)
१ अरेंज्ड मैरेज में माँ-बाप लड़का या लड़की ढूंढते हैं....माँ-बाप अपने बच्चे के लिए बेस्ट ही चाहते हैं......इस खोज में उनके अपने अनुभव बहुत काम आते हैं.....वो हर पसंद को मद्दे नज़र रखते हुए सही साथी की तलाश करते हैं...साथ ही वो हर गलती को भी सामने रखते हैं जो उन्होंने ख़ुदकिये थे.....फलस्वरूप, कुछ गलतियों से अपने बच्चों को साफ़ बचा ले जाते हैं... .....साथ ही कई गलतियों से बचने की तरकीब भी उनसे पता चल जाता है .....जो लव मैरेज करते हैं उन्हें जीवन का और उसकी जटिलता का कोई अनुभव तो होता नहीं है ....इसलिए गलतियाँ होतीं ही होतीं हैं जीवन साथी के चुनाव में......और यह तो जग-जाहिर है ही की प्यार अँधा भी होता है......और इस कहावत का बहुत बड़ा योगदान भी होता है इस निर्णय में ....
२. अरेंज्ड मैरेज में शादी का सारा खर्चा माँ-बाप का होता है...खर्चे के बारे में सोचना नहीं पड़ता है.......लेकिन लव मैरेज में लड़का अपराध भाव से इतना घिरा होता है कि माँ-बाप की तरफ से किया गया हर काम उसे अहसान लगता है.... वो माँ-बाप से कम से कम खर्चा करवाने की जुगत में रहता है, शादी की रस्मों को एन्जॉय नहीं कर पाता मन से ....क्यूंकि वो हर वक्त compromise करता है.....इसी चिंता में रहता है.... कहीं किसी को बुरा न लगे........शुरू में ही लड़का बँट जाता है ....अपने माँ-बाप और लड़की तथा लड़की के माँ-बाप के बीच .....
३ . अरेंज्ड मैरेज करने वालों को घर छोड़ कर कहीं जाना ही नहीं पड़ता है.....आराम से घर में रहो......और अगर जो कहीं जाना भी पड़ा तो .....घर बसाने में माँ-बाप पूरी मदद करते हैं....दिल से..जबकि लव मैरेज में..माँ-बाप का घर सबसे पहिले छोड़ना पड़ता है.....ज्यादातर लडकियां रहतीं ही नहीं हैं लड़के के माँ-बाप के साथ.....क्यूंकि लड़की already लड़के पर हावी होती है.....इसलिए घर छोड़ना ही पड़ता है और दूसरा घर बसाना ही पड़ता है ...इस काम में लड़के के माँ-बाप दूर रह कर ही बात करते हैं .....कोई भी सलाह देने में भी कतराते हैं .....कहेंगे...जैसा तुम्हें ठीक लगे करो....तुम्हारी अपनी पसंद है......हम क्या कह सकते हैं...
४ . अरेंज्ड मैरेज में लड़की का स्वाभाव अगर लड़के की माँ से नहीं मिल पता, अर्थात सास-बहु में नहीं बनती है तो लड़का आराम से अपने माँ-बाप पर इलज़ाम लगा सकता है ...आपने पसंद किया है आप ही समझो...मुझे बीच में मत घसीटो ...मुझसे मत कहो कुछ.....लेकिन अगर लव मैरेज में ऐसा हुआ तो ...लड़के की खैर नहीं.....उसे सुबह शाम बस इसी युद्ध से गुजरना होगा....लड़का ना हुआ फ़ुटबाल हुआ...कभी इधर कभी उधर....जीना मुश्किल हो जाता है...
५ . अरेंज्ड मैरेज के जब बच्चे होंगे तो माँ-बाप के घर पर ही होंगे....हॉस्पिटल कि जिम्मेवारी माँ-बाप पर .....अगर जो कहीं बाहर रह रहा है लड़का तो अपने माँ-बाप के घर लड़की को छोड़ कर आ सकता है या फिर माँ-बाप ही आ जायेंगे माँ-बाप आयेंगे ही आयेंगे...कोई बहाना नहीं कर सकते हैं...क्यूंकि बहु रुपी मुसीबत वो खुद लेकर आये हैं ....लेकिन लव मैरेज में मियाँ-बीवी को अकेले सब भुगतना पड़ता है......माँ-बाप से कोई भी उम्मीद नहीं की जा सकती है.....अगर उनसे कहा भी मदद करने को या आने को तो .... आयेंगे और अहसान जताएंगे या फिर आयेंगे ही नहीं वो कहेंगे ॥खुद ही भुगतो....जब अपनी पसंद की लड़की ला सकते हो तो बच्चे के समय हमारी क्या ज़रुरत ??? जब लड़की पसंद की तब तो हमसे पूछा नहीं अब क्यूँ ???
६. अरेंज्ड मैरेज में अगर कभी पत्नी से झगडा हो जाए तो माँ-बाप को जम कर सुनाया जा सकता है ....आप लोगों ने ...मेरी ज़िन्दगी बर्बाद कर दी...और माँ-बाप इतने ज्यादा अपराध बोध से ग्रस्त हो जायेंगे और सहानुभूति करेंगे की सारी जायदाद लड़के के नाम कर देंगे...हा हा हा
७. अरेंज्ड मैरेज में समय बहुत आसानी से बीत जाता है.....शुरू के कुछ साल तो एक-दूसरे को समझने में बीत जायेगे ....प्रेम धीरे-धीरे पनपता है ....और परिपक्व होता है...बच्चों के होने के बाद या फिर बिना बच्चो के भी ...बाद में एक-दूसरे की आदत हो जाती है....
जबकि लव मैरेज में शादी ही तब होती है जब प्यार ख़तम होने लगता है....शुरू के साल बस एक-दूसरे कि कमियाँ निकालने में बीत जाते हैं ....और बाद में यह याद दिलाया जाता है कि तुमने ये वादा किया था वो पूरा नहीं किया.....तुम मेरे पीछे पड़े थे...मैं तो शादी ही नहीं करना चाहती/चाहता था इत्यादि .... शादी सिर्फ लड़ने के लिए ही रह जाती है......
तो ये थी मृगांक की दलील उसके क्लास में और विश्वास कीजिये....सारा क्लास convinced हो गया की अरेंज्ड मैरेज बेहतर है लव मैरेज से ....अब उसके दोस्त हिन्दुस्तानी लड़की ढूंढ़ रहे हैं....और सबने कहा है मृगांक से अपनी मम्मी से कहो हमारे लिए भी रिश्ता ढूंढे ......
कहते हैं जोड़े ऊपर से ही बन कर आते हैं....मयंक-मृगांक के जीवन में क्या है ये तो ईश्वर ही जाने लेकिन बिलकुल नई पीढी से ऐसी बातें सुनकर मन बहुत खुश हुआ....बेशक दलील बहुत पुख्ता न हो....लेकिन दलील में दम ज़रूर है....आप क्या कहते हैं ???
swapnamanjusha