सोमवार, 4 जनवरी 2010

रिश्ते बस रिश्ते होते हैं / गुलज़ार

रिश्ते बस रिश्ते होते हैं
कुछ इक पल के
कुछ दो पल के

कुछ परों से हल्के होते हैं
बरसों के तले चलते-चलते
भारी-भरकम हो जाते हैं

कुछ भारी-भरकम बर्फ़ के-से
बरसों के तले गलते-गलते
हलके-फुलके हो जाते हैं

नाम होते हैं रिश्तों के
कुछ रिश्ते नाम के होते हैं
रिश्ता वह अगर मर जाये भी
बस नाम से जीना होता है

बस नाम से जीना होता है
रिश्ते बस रिश्ते होते हैं

परखना मत....!!!

परखना मत परखने से कोई अपना नही रहता ,
भी आइने में देर तक चेहरा नही रहता ,
बड़े लोगों से मिलने में हमेसा फासला रखो ,
जहाँ दरिया समंदर से मिला , दरिया नही रहता,
तुम्हारा शहर तो बिल्कुल नए मिजाज़ बाला है ,
हमरे शहर में भी अब कोई हमसा नही रहता ,
मोहब्बत में तो खुशबू है हमेशा साथ चलती है ,
कोई इंसान है जो तन्हाई में भी तन्हा नही रहता !!!

bthoms-sonami

शनिवार, 2 जनवरी 2010

पागलपन

पागलपन ---------------- जब आदमी इस समाज से जयादा समझ दार हो जाए और समाज की हर चालाकी को समझता जाए तो समाज उसे पागल घोषित कर देता है / आओ आप को एक भूले हुए पागल से मिलाय / जिसे आप पढ़ रहे है उस पागल को पागलखाने का रास्ता दिखाए /आज उसे समझ आया ....अपनों का दबाव, जिसने उस की जिन्दगी को बिखरा दिया ,सब का अपना अपना मतलब था ,अपनी अपनी खवाइश ..................................

पहेलि 1

बिना धोए सब खाते है, खाकर ही पछताते है,
बोलो एसी चीज है क्या, कहते समय शरमाते है।


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कहाँ तक आँख रोएगी कहाँ तक किसका ग़म होगा

कहाँ तक आँख रोएगी कहाँ तक किसका ग़म होगा 

मेरे जैसा यहाँ कोई न कोई रोज़ कम होगा

तुझे पाने की कोशिश में कुछ इतना रो चुका हूँ मैं 
कि तू मिल भी अगर जाये तो अब मिलने का ग़म होगा 

समन्दर की ग़लतफ़हमी से कोई पूछ तो लेता ,
ज़मीं का हौसला क्या ऐसे तूफ़ानों से कम होगा 

मोहब्बत नापने का कोई पैमाना नहीं होता ,
कहीं तू बढ़ भी सकता है, कहीं तू मुझ से कम होगा


वसीम बरेलवी 











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शुक्रवार, 1 जनवरी 2010

एक नयी सुबह है आई.

स्वर्ण रश्मि नैनों के द्वारे
सो गये हैं अब सारे तारे
चाँद ने भी ली विदाई
देखो एक नयी सुबह है आई.

मचलते पंछी पंख फैलाते
ठंडे हवा के झोंके आते
नयी किरण की नयी परछाई
देखो एक नयी सुबह है आई. 

कहीं ईश्वर के भजन हैं होते
लोग इबादत में मगन हैं होते
खुल रही हैं अँखियाँ अल्साई
देखो एक नयी सुबह है आई. 

मोहक लगती फैली हरियाली
होकर चंचल और मतवाली
कैसे कुदरत लेती अंगड़ाई
देखो एक नयी सुबह है आई. 

फिर आबाद हैं सूनी गलियाँ
खिल उठी हैं नूतन कलियाँ
फूलों ने है ख़ुश्बू बिखराई
देखो एक नयी सुबह है आई.


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WISH YOU ALL HAPPY NEW YEAR-2010

WITH BLESSING OF GOD..

PETALS OF ROSES...

PALM FULL OF HOLLY WATER....

LIGHT OF SUNSHINE.....

FRAGRANCE OF FLOWERS......

WISH YOU & YOUR FAMILY

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